
जब सिस्टम बहरे हो जाएं और सरकारें मौन व्रत में चली जाएं, तो विरोध की भाषा भी क्रिएटिव हो जाती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने धीना क्षेत्र में ऐसा ही कुछ किया — सरेआम सड़क पर भीख मांगकर प्रशासन को आईना दिखा दिया।
ड्रेनों में जाम, खेतों में बर्बादी और सरकार गुमनाम
धीना बाजार के किसान पिछले कई महीनों से परेशान थे। वजह? — ड्रेनों की सफाई न होने से खेतों में पानी भर गया और फसलें बर्बाद।
शिकायतें की गईं, अर्ज़ियाँ लगाईं, अधिकारियों से मिले — लेकिन सरकार की ओर से सिर्फ वही पुराना जुमला:
“हम देख रहे हैं, कार्रवाई होगी।”
“जब अफसर फेल हों, तो जनता के बीच उतरना पड़ता है” — डब्लू जी
थक-हारकर मनोज सिंह डब्लू ने वो किया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। हाथ में कटोरा, दिल में किसानों का दर्द और जुबान पर तंज — डब्लू जी सड़क पर उतरे और सार्वजनिक रूप से भीख मांगी। उन्होंने जो राशि जमा की, उसे किसानों में बांट दिया और कहा:
“जब सरकार सिर्फ पोस्टर छापती हो और अफसर सिर्फ AC में बैठकर किसानों के सपनों को बहा देते हों, तो नेता को भी भीख मांगनी पड़ती है।”
नेताओं के नखरे और डब्लू जी का ‘कटोरा पॉलिटिक्स’
सिस्टम के मुंह पर तमाचा था ये प्रदर्शन। जहां बाकी नेता फ्लैगशिप योजनाओं के उद्घाटन में फोटोज़ खिंचवाते हैं, वहीं डब्लू जी कीचड़ में उतर कर किसानों की आवाज़ बन गए।
ग्रामीणों ने कहा:

“कम से कम कोई तो ऐसा है जो किसानों के लिए शर्मिंदा नहीं, संघर्षशील है।”
अब तो विधायक भी भीख मांगें, किसान क्या करे?
ये पूरी घटना एक कड़वा सवाल छोड़ जाती है:
अगर पूर्व विधायक को सिस्टम हिला नहीं सका, तो एक आम किसान की क्या बिसात?
शायद ये भीख नहीं थी — ये एक लोकतंत्र को जगाने की कोशिश थी। और शायद, कटोरा इस बार सिर्फ रुपये नहीं, जनसमर्थन भी जमा कर रहा था।
क्या सरकार जागेगी या फिर अगली बारिश तक वादे बहते रहेंगे?
इस प्रदर्शन के बाद प्रशासन में हलचल है। जांच के आदेश हो रहे हैं, और ड्रेनों की सफाई के लिए “प्रक्रिया शुरू” होने की अफवाहें तैर रही हैं।
लेकिन असली सवाल यह है कि यह ‘सिस्टम का ड्रेनेज’ कब साफ होगा?
जब लोकतंत्र चुप हो जाए, तो कटोरा बोलता है। और इस बार उस कटोरे ने जो कहा, उसने शासन की नींव हिला दी।
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